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समाचारी
(१६) ( पौन पोरसी के पग की छाया का माप बताते हैं) जेठ, : आषाढ़ और श्रावण इन तीन महीनों में जिस पोरसी के लिये पग को छाया का माप बताया है उस कदम के ऊपर ६ अंगुल प्रमाण बढा देने से उस महीना की पौनो पोरसी निकल आती है । भाद्रपद, आसोज तथा कार्तिक इन तीन महीनों में, ऊपर जो माप बताया है उसमें आठ अंगुल प्रमाण बढा देने से पौनी पोरसी निकल आती है । मंगसर (अगहन) पौष तथा माह इन तीन महीनों में बताऐ हुऐ माप में १० अंगुल प्रमाण बढा देने से पौनी पोरसी निकल आती है | फाल्गुन, चैत्र और वैशाख, इन तीन महीनों में जो माप बताया है उसमें आठ अंगुल प्रमाण छाया बढाने से पौनी पोरसी निकल आती है । इस समय वस्त्र - पात्रादिकों का प्रतिलेखन करे ।
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(१७) विचक्षण साधु रात्रिकाल के भी चार विभाग करे और प्रत्येक भाग में प्रत्येक पोरसी के योग्य कार्य कर अपने गुणों की वृद्धि करे ।
(१८) रात्रि के पहिले प्रहर में स्वाध्याय, दूसरे में ध्यान, तीसरे में निद्रा, और चौथे प्रहर में स्वाध्याय करे ।
(१९) ( अब रात्रि की पोरसी निकालने की रीति बताते हैं ) जिस काल में जो २ नक्षत्र तमाम रात तक उदित रहते हों वे नक्षत्र जब आकाश के चौथे भाग पर पहुँचें तब रात्रि का एक प्रहर गया ऐसा समझना चाहिये और उस समय स्वाध्याय बंद कर देना चाहिये ।
( २० ) और वही नक्षत्र चलते चलते आकाश का केवल चौथा
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