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मूल और छेद इन चार विभागों में से मूल विभाग में इसकी गणना की जाती है। ____ भगवान महावीर के मोक्ष जाने के बाद (बारह वर्ष पीछे गौतम स्वामी मुक्त हुए थे) उनके पाट पर ब्राह्मणकुलजात श्री सुधर्मस्वामी भाये और वीर निर्वाण के २० वर्ष पीछे वे भी मुक्त हुए। उनके बाद उनके पाटपर श्री जंबूस्वामी विराजमान हुए-(वीर वंशावलि, जैन साहित्य संशोधक)" .
इस कथन पर से उत्तराध्ययन की प्राचीनता तथ अद्भुतता स्वयमेव स्पष्ट हो जाती है।
पूर्वकालीन भारत-धार्मिक युग भगवान महावीर का युग-एक धार्मिक युग तरीके माना जाता है। उस युग में तीन धर्म मुख्य थे; जिनके नाम वेद, जैन और बौद्ध 'धर्म हैं। । उस समय वेद और जैन ये दो धर्म प्राचीन थे, बौद्ध धर्म अर्वाचीन था। एक स्थान पर डाक्टर हर्मन जैकोबी आचारांग सूत्र की प्रस्तावना में लिखते हैं:
"It is now admitted by all that Nataputta (gnatiputra), who is commonly called Mahaviror Vardha.mana, was a contemporary of Buddh; and that the Niganthas ( Nigranthas ) now better known under the name of Jains or Arhats, already existed as an important sect at the time when the Buddhist church Was being founded"
यह बात अब सर्वमान्य हो चुकी है कि नातपुत्र (ज्ञातिपुत्र) जो महावीर अथवा वर्धमान के नाम से विशेष प्रसिद्ध हैं, वे बुद्ध के समका. लीन थे और निग्गंथ (निग्रंथ ) जो आजकल जैन अथवा आहंत नाम से