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इषुकारीय ।
(इपुकार राजा सम्बन्धी)
संगति का जीवन पर गहरा असर पड़ता है। ऋणा
नुवन्ध गाढ़ परिचय से जागृत होते हैं। सत्संग से जीवन अमृतमय हो जाता है और परस्पर के प्रेम भाव से एक दूसरे के प्रति सावधान रहे हुए साधक साथ साथ रहकर जीवन के अन्तिम ध्येय को प्राप्त कर लेते हैं।
इस अध्ययन में ऐसे ही ः जीवों का मिलाप हुया है। देवयोनि में से पाये हुप. छः पूर्व योगी एक ही इपुकार नगर में उत्पन्न होते है। जिन में से चार ब्राह्मण कुल में तथा दो क्षत्रिय कुल में पदा हुप, । ब्राह्मण कुलोत्पन्न दो कुमार योग संस्कारों की प्रबलता से युवावस्था में ही भोग विलासों की श्रासक्ति से दूर होकर योग धारण करनेके लिये प्रेरित होते । दो जीव जो इन दोनों के माता पिता है वे भी उनके योग प्रकटता देख कर योग धारण करने का विचार करते है शीव यह सारा ही कुटुम्ब त्यागमार्ग का अनुसरण करना
उपुकार नगर में धन दिनों