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उत्तराध्ययन सूत्र
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क्षणिक सुख कहाँ ? और आत्मदर्शन का सुख कहाँ ? इन दोनों की
समानता कमी हो ही नहीं सकती। (२) इस तरह कंपिला नगरी में संभूति उत्पन्न हुआ और
(उनका भाई) चित्त पुरिमताल नगर में नगरसेठ के यहाँ पैदा हुआ। (चित्त के अंतःकरण में तो वैराग्य के गाढ़ संस्कार थे इससे ) चित्त तो सच्चे धर्म को सुनकर
(पूर्वभावों का स्मरण होने से) शीघ्र ही त्यागी हो गया। टिप्पणी-यद्यपि चित्त का जन्म भी अत्यंत धनाट्य घर में हुआ था
किन्तु अनासक्त होने से वह कामभोगों से शीघ्र ही विरक्त हो
सका
(३) चित्त और संभूति ये दोनों भाई ( उपरोक्त निमित्त से)
कपिला नगरी में मिले और वे परस्पर ( भोगे हुए) सुख
दुःखों के फल तथा कर्मविपाक कहने लगे:(४) महाकीर्तिमान् तथा महा समृद्धिवान् ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती ने
अपने बड़े भाई को बहुत सम्मान पूर्वक ये वचन कहे:-- (५) हम दोनों भाई परस्पर एक दूसरे के साथ २ हमेशा रहने . वाले, एक दूसरे का हित करने वाले और एक दूसरे के
अति प्रेमी थे। टिप्पणी-ब्रह्मदत्त को जाति स्मरण और चित्त को अवधिज्ञान हुआ ।
इससे चे अपने अनुभवों की यात कर रहे हैं । अवधिज्ञान उस
को कहते हैं जिसमें मर्यादा के अन्दर निकाल की बातें ज्ञात ही (६) पहिले भव में हम दोनों देश में द्वासु भी है बारे
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भव में काम करना आश्चम
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