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उत्तराध्ययन सूत्र
रही है इसलिये हे गौतम ! तू एक समय का भी प्रमाद
न कर। (२२) तेरा शरीर जीर्ण होता जा रहा है। तेरे बाल सफेद
होते जाते हैं। तेरी आँखो की ज्योति मंद पड़ती जाती है, इसलिये हे गोतम ! तू एक समय मात्र का भी प्रमाद
न कर। (२३) तेरा शरीर जीर्ण होता जाता है। तेरे वाल सफेद होते
जाते हैं। तेरी नासिका (की सूघने ) की शक्ति मंद पड़ती जाती है इसलिये हे गौतम ! तू एक समय का भी
प्रमाद न कर। (२१) तेरा शरीर जीर्ण होता जा रहा है। तेरे बाल सफेद
होते जाते हैं। तेरी जीभ ( की चखने ) की शक्ति मंद पड़ती जाती है, इसलिये हे गौतम ! तू एक समय
का भी प्रमाद न कर । । तेरा शरीर जीर्ण होता जा रहा है। तेरे वाल पकते जा रहे हैं। तेरी स्पर्शेन्द्रिय ( की स्पर्श करने) की शक्ति प्रति-- क्षण क्षीण होती जाती है; इसलिये हे गौतम ! तू एक
समय मात्र का भी प्रमाद न कर । (२६) तेरा शरीर जीर्ण होता जा रहा है। तेरे बाल पकते जा
रहे हैं। तेरा सब वल क्षीण होता जा रहा है; इसलिये
हे गौतम ! तू एक समय मात्र का भी प्रमाद न कर । टिप्पणी-टपरोक्त टपदेश भगवान महावीर ने गौतम को लक्ष्य करके
हम सब को दिया है। इसलिये इसको अपने जीवन में उतारना (चरितार्थ करना) यही हमारा कर्तव्य होना चाहिये। हम में