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________________ कापिलिक - कपिल मुनि सम्बन्धी अध्ययन मन ही बंध तथा मोक्ष का कारण है । मन का दुष्ट वेग बंध का कारण है और उसकी निर्मलता मुमुक्षुभाव का कारण है। देखो, चित्त की अनियन्त्रित ( उच्छृंखलता) कहां तक घसीट ले जाती है ! और अतरात्मा की एक ही आवाज, उसकी तरफ लक्ष्य देने से किस तरह से इस आत्मा को अधःपतन से बचा लेती है ! कपिल सुनीश्वर, जो अन्त में अनन्त सुख पाकर मोक्षगामी हुए, उनके पूर्व जीवन में से उक्त दोनों वातों का मूर्तिमान बोधपाठ मिलता है । कपिल का जन्म कौशाम्बी नगरी में उत्तम ब्राह्मण कुल में 'हुआ था । युवावस्था में अपनी माता की प्राज्ञा से वे श्रावस्ती नगरी में जाकर एक दिग्गज पंडित के पास विद्याध्ययन में प्रवृत्त हुए थे । युवावस्था एक प्रकार का नशा है। इस नशे के झोके में पड़ कर बहुत से युवान मार्ग से पतित हो जाते है । कपिल भी अपने मार्ग से च्युत हुए । विषयों की प्रबल
SR No.010553
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyachandra
PublisherSaubhagyachandra
Publication Year
Total Pages547
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size17 MB
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