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च. गंगासिंधूरोहितादयः । यह इतरेतरयोग द्वंद्व समास है । उदक् शब्दका उदभाव निपातित होता है। यह ऊपर कह दिया गया है इसलिए सीतोदा और रक्तोदा यहाँपर उदांत शब्दों का प्रयोग किया गया है ।
गंगा आदिक नदियां हैं वापियां नहीं यह समझानेकेलिए सूत्रमें 'सरित' शब्दका उल्लेख किया गया है । ये गंगा सिंधु आदि नदियां दूर दूर हैं कि समीप समीप हैं। इस संदेहकी निवृत्तिकेलिए सूत्र में ‘तन्मध्यगा' इस शब्दका उल्लेख किया गया है अर्थात् उपर्युक्त क्षेत्रों में बहने वाली ये नदियां हैं ॥ २० ॥ 'ये. नदियां एक ही क्षेत्र में बहनेवाली हैं' इस अनिष्ट बातकी निवृत्तिकेलिए अथवा किस किस दिशामें कौन कौन नदी बहती है ? इस बात के प्रतिपादन के लिए सूत्रकार सूत्र कहते हैंद्वयोर्द्वयोः पूर्वाः पूर्वगाः ॥ २१ ॥
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" एक एक क्षेत्र में जो दो दो नदियां बहती हैं उन दो दो नदियोंके सात युगलों में से पहिली पहिली नदियां पूर्व समुद्र में जानेवाली हैं । अर्थात् गंगा रोहित् हरित् सीता नारी सुवर्णकूला और रक्ता ये सात नदियां पूर्व समुद्र में जाकर मिलती हैं।
द्वयोर्द्वयोरेक क्षेत्रं विषय इत्यभिसंबंधादेकत्र सर्वासां प्रसंगनिवृत्तिः ॥ १ ॥
यदि किसी वाक्यशेषकी आवश्यकता पडे और सूत्रमें यह न हो तो उसकी कल्पना कर ली जाती है क्योंकि वाक्य वक्ता के आधीन होता है इसप्रकार यहां इच्छासे वाक्यशेषका निश्चय कर दो दो नदियोंका एक एक क्षेत्र विषय है इस वाक्यशेषकी यहां पर कल्पना है । इसलिए समस्त नदियां एक ही क्षेत्रमें बहनेवाली हैं यह जो यहांपर अनिष्ट प्रसंग आया था उसकी निवृत्ति हो गई ।
KAJA
अध्याय
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