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________________ भाग है और अजघन्योत्कृष्ट मध्यम समयोत्तर है। पांचवें उद्धांत इंद्रकमें और उसकी आठो श्रेणियोंमें नारकियों की जघन्य स्थिति सागरका दशवां भाग है । उत्कृष्ट सागर के दश भागों में दो भाग प्रमाण | है और अजघन्योत्कृष्ट मध्यम समयोत्तर है। छठे संभ्रांत इंद्रक्रमें और उसकी आठो श्रेणियों में जघन्य | स्थिति सागर के दश भागों में दो भाग प्रमाण है । उत्कृष्ट स्थिति सागर के दश भागों में तीन भाग प्रमाण है और अजघन्योत्कृष्ट स्थिति समयोत्तर है। सातवें असंभ्रांत इंद्रकमें और उसकी आठो श्रेणियों में नारकियोंकी जघन्यस्थिति एक सागर के दश भागों में तीन भाग प्रमाण है । उत्कृष्टस्थिति सागर के दश भागों में चार भाग प्रमाण है और अजघन्योत्कृष्ट मध्यमस्थिति समयोचर है । आठवें विभ्रांत | इंद्रकमें और उसकी आठो श्रेणियों में नारकियोंकी जघन्यस्थिति एक सागरके दश भागों में चार भाग प्रमाण है । उत्कृष्ट स्थिति एक मागर के दश भागों में पांच भाग प्रमाण है और अजघन्योत्कृष्टस्थिति | समयोचर है। नवमें तप्त इंद्रकमें और उसकी आठो श्रेणियों में नारकियोंकी जघन्यस्थिति एक सागर के | दश भागों में पांच भाग प्रमाण है । उत्कृष्टस्थिति एक सागर के दश भागों में छह भाग प्रमाण है और | अजघन्योत्कृष्ट मध्यमस्थिति समयोत्तर है । दशवें त्रस्त इंद्रकमें और उसकी आठो श्रेणियों में जघन्यस्थिति एक सागर के दश भागों में छह भाग प्रमाण है । उत्कृष्टास्थिति एक सागर के दश भागों में सात भाग प्रमाण है और अजघन्योत्कृष्ट मध्यमस्थिति समयोचर है । ग्यारहवें व्युत्क्रांत इंद्रकमें और उसकी | आठो श्रेणियों में जघन्य स्थिति एक सागर के दश भागों में सात भाग प्रमाण है । उत्कृष्ट स्थति एक | सागर के दश भागों में आठ भाग प्रमाण है और अजघन्योत्कृष्ट मध्यमस्थिति समयोचर है । बारहवें अवक्रांत इंद्रक में और उसकी आठ श्रेणियोंमे जघन्यस्थिति एक सागर के दश भागों में आठ भाग प्रमाण अध्याय ३ ૯૦
SR No.010551
Book TitleTattvartha raj Varttikalankara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages1259
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size2 MB
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