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________________ - अम्बार ०रा० भाषा GRECAUGDISCIENCESROGRECEIGIBABAGAUR | इसलिये यहाँपर भिन्नकाल-भविष्यत्कालका कार्य, भिन्नकाल-भूतकालमें, कहनेसे कालव्याभिचार है। | इसीतरह भाविकृत्यमासीत्' आगे होनेवाला कार्य हो चुका यहांपर भी भिन्न कालके कार्यका भिन्न | | कालमें होना माननेसे काल व्याभिचार है। . ।' उपग्रहका अर्थ परस्मैपद वा आत्मनेपद है । परस्मैपदकी जगह आत्मनेपद कह देना और आत्मने|| पदकी जगह परस्मैपद कह देना उपग्रह व्याभिचार है। स्था धातु परस्मैपदी है परंतु उपसर्गके बलसे उसे 5 आत्मनेपदी मान लिया जाता है जैसे 'तिष्ठति' के स्थानपर सतिष्ठते प्रतिष्ठते आदि प्रयोग किये जाते हैं। यहांपर परस्मैपदकी जगह आत्मनेपद कहनेसे उपग्रह व्यभिचार है। इसीतरह 'रमु क्रीडायां धातु | आत्मनेपदी है । वहाँपर उपसर्गके बलसे उसे परस्मैपदी मानलिया जाता है जैसे 'रमते' के स्थानपर विरमति उपरमति प्रयोग किये जाते हैं। यहांपर आत्मनेपदको परस्मैपद कहनेसे उपग्रह व्यभिचार है। यह उपग्रह व्यभिचारका कथन सर्वार्थसिद्धिकी टिप्पणी और अर्थप्रकाशिका टीकाके आधारपर है। १ संव्यवमात् । १ । २।२१ । सम् वि अव और प्र उपसर्गसे परे रहनेपर स्था धातुसे आत्मनेपद होता है । जैनेन्द्रव्याकरण । २ व्याङश्च रमः । १।२१६५ उपात् । १।२।९६ । वि आङ् परि और उप उपसर्गसे भागे रमु धातु रहने पर परस्मैपदहोता है। जैनेन्द्रव्याकरण । ३ अत्र परस्मैपदोपग्रहः अत्र सूत्रं समवप्रविभ्यः । रमु क्रीडायामित्यत्रात्मनेपदोपग्रहः । व्यापरिभ्यो रमः इति व्यभिचारसूत्रं । अर्थात् सतिष्ठते प्रतिष्ठते यहां पर परस्मैपद उपग्रह है और परस्मैपदी स्था धातुसे 'समवपविभ्यः' इस सूत्रमें वहां उपग्रहका व्यमिचार आत्मनेपदं हुआ है। 'रमु क्रीडायां' यहां पर प्रात्मनेपद उपग्रह है और 'व्यापरिभ्यो रमः' इस सूत्रसे व्यभिचारस्वरूप परस्मै-- पद हुआ है। सर्वार्थसिद्धि टिप्पणी पृष्ठ८०। ४ बहुरि प्रारमदेपदकू परस्मैपद भया ऐसे ही उपसर्ग व्यभिचारकू व्यवहारनय अन्याय माने हैं इस शब्दनयसे समस्त विरोध |मि है। अर्थप्रकाशिका पृष्ठ ६३ । CASSIBASSISEASORROREGISTEREONE
SR No.010551
Book TitleTattvartha raj Varttikalankara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages1259
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size2 MB
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