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इंद्र बना रहा हूं"यह वचन नैगम नयकी अपेक्षा बाधित नहीं। इसी प्रकार एक मनुष्य ईट चूना काठ
आदि घरके तयार करने की सामग्रीको एकत्र करनेमें संलग्न है यदि उससे पूछा जाता है कि भाई! र बजार है तुम क्या कर रहे हो ? उत्तर मिलता है, घर बना रहा हूं। यद्यपि घर पर्याय अभी निष्पन्न नहीं तथापि 2 उसके बनानेका संकल्प होनेसे में घर बना रहा हूं' यह वचन नैगम नयकी अपेक्षा बाधित नहीं। इसी
प्रकार बहुतसे मनुष्य एक जगह खडे हैं। उनमें किसीने पूछा-भाई ! अमुक स्थानपर कोन मनुष्य जा 3 रहा है। उनमें से एक मनुष्य जो अभी तक खडा है उत्तर देता है-मैं जा रहा हूं वहां पर यद्यपि गमन ६ क्रिया में प्रवृत्त नहीं है तथापि नैगम नयकी अपेक्षा उसका मै जारहा हूं' यह वचन बाधित नहीं। क्योंकि ( संसारमें वैसा व्यवहार होता है । समझाने के लिये यहां कुछ इन दृष्टांतोंका उल्लेख किया गया है और ₹ भी अनेक दृष्टांत नैगम नयके विषय हैं। है विशेष-एक पुरुष जल लकडी आदि ओदनकी सामग्रीको एकत्र करनेमें लगा हुआ है। जिससमय है उससे पूछा जाता है कि भाई क्या कर रहे हो ? उत्तर मिलता है-भात पकाता हूं, यद्यपि भात पर्याय
अभी निष्पन्न नहीं है किंतु उसके लिये व्यापार किया जारहा है तो भी वैसा संसारमें व्यवहार होनेसे
नैगम नयकी अपेक्षा में भात पकाता हूं। यह बचन बाधित नहीं। इस दृष्टांतका साथसिदिमें विशेष 8 रूपसे उल्लेख है।
वार्तिकालंकारकारने जितने भी यहां नैगम नयके विषय दृष्टांत दिये हैं वे सब भविष्यत् काल - १ तथा एघोदकाचाहरणे व्याप्रियमाणं कंचित् पृच्छति किं करोति भवानिति ! स आह-ओदनम् पचामीति तदोदनपर्याया हूँ सनिहितः1 सर्विसिदि पृष्ठ ७८।
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