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नहीं आए जैसे काकके दांत गधेके सींग नहीं होते उसीतरह सहानवस्थान लक्षण विरोध भी विद्य मान पदार्थों का ही होता है अविद्यमानोंका नहीं । यदि नाम और स्थापना आदिको न माना जायगा। तो काकके दांत, गधे के सींगके समान उनका भी सहानवस्थान नामका विरोध सिद्ध न हो सकेगा इसलिये जब नाम और स्थापना आदि पदार्थ भिन्न २ हैं तब चारों निक्षेपोंका कभी अभाव नहीं कहा जा सकता । और भी यह बात है कि
नामाद्यात्मकत्वानात्मकत्वे विरोधस्याविरोधकत्वात् ॥ २५ ॥
जिस सहानवस्थान नामके विरोधका नाम आदि निक्षेपोंमें वादी उल्लेख कर रहा है वह विरोध नाम स्थापना आदि निक्षेप स्वरूप है वा उससे भिन्न है ? यदि वह नाम आदि निक्षेपस्वरूप है तब नाम | आदिमें विरोध करनेवाला ही कोई पदार्थ नहीं रहा क्योंकि विरोध करनेवाला सहानवस्थान नामक विरोध पदार्थ था वह नाम आदि स्वरूप ही मान लिया गया यदि नाम आदि स्वरूप रहकर भी विरोध पदार्थ नाम आदिमें विरोध करनेवाला माना जायगा तो नाम आदिका स्वरूप भी उनमें विरोध करनेवाला मानना पडेगा क्योंकि जिसतरह नाम आदिसे विरोध पदार्थ अभिन्न है तो भी वह विरोध करने| वाला माना जाता है उसीप्रकार नाम आदिका स्वरूप भी नाम आदिले अभिन्न है वह भी विरोध करनेवाला होगा इस रूपसे स्वरूपको ही विरोधका करनेवाला होने के कारण नाम आदिका अभाव ही हो जायगा । यदि यह कहा जायगा कि वह विरोध नाम आदिसे भिन्न है तब तो वह नाम आदिमें विशेष करनेवाला हो ही नहीं सकता क्योंकि नाम आदिसे वह अर्थान्तर है भिन्न है । यदि भिन्न होकर भी वह नाम आदिमें विरोध करनेवाला माना जायगा तो समस्त पदार्थ आपसमें एक दूसरे से भिन्न हैं इसलिये
भाष
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