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RECASIS
ABRADASASARAL-CAREERSIA
जाय कि जहां आगे सम्यग्दर्शन पर्याय प्रकट होनेवाली है उसकी पूर्व पर्यायको सम्यग्दर्शन कह देना यह तो युक्त है क्योंकि पर्याय सदाबदलती रहती हैं अर्थात् जीवको सम्यग्दर्शन आदिपरिणामोंसे रहित ) | मान लिया जायगा तो जीव पदार्थ ही सिद्ध न हो सकेगा क्योंकि सर्वथा नित्य कोई पदार्थ नहीं परन्तु है जिसमें आगे जीवपर्याय प्रगट होनेवाली है उसकी पूर्व पर्यायको ही जीव कह देना यह वात नहीं बन | सकती क्योंकि यदि जीवन पयार्यका सदा परिणमन न माना जायगा तो जीवन पर्यायसे पहिले अजीवपना भी आ सकता है इस रीतिसे किसी समय जीव भी अजीव हो जानेके कारण सर्वदा कोई जीव पदार्थ सिद्ध न हो सकेगा ? सो ठीक नहीं। मनुष्य जीव वा तिथंच जीव आदिकी विशेष अपेक्षासे यह
कथन है अर्थात् जो जीव इस समय मनुष्य पर्यायमें है और आगे जाकर वह देव होनेवाला है उसको । 3 मनुष्य पर्यायमें ही यह कह देना कि यह देव है अथवा जो जीव इस समय तियच पर्यायमें है और | आगे जाकर उसे मनुष्य पर्याय मिलनेवाली है उसे तिथंच पर्याय में ही मनुष्य कह देना यह द्रव्यनिक्षेप ६|| का विषय है किंतु जिसको आगे सामान्य जीव पर्याय प्राप्त होनेवाली है उसकी पूर्व पर्यायकोजीव कहना है यह अर्थ प्रमाणबाधित है क्योंकि ऐसा कोई पदार्थ ही नहीं जिसे आगे जाकर सामान्य जीवपर्याय | प्राप्त हो सके किंतु विशेष जीव पर्याय ही प्राप्त हो सकती है इसलिये कोई दोष नहीं।
विशेष-इस ग्रंथमें यहां पर जो द्रव्य निक्षेपकी व्युत्पत्ति की गई है और लक्षण कहा गया है वह || उत्तर पर्यायकी अपेक्षासे है भूत आदि पर्यायकी अपेक्षासे नहीं इसलिये जो मनुष्य इससमय राजाका | पुत्र है आगे वह राजा होनेवाला है किंतु इससमय उसमें राजाकी योग्यता है वही द्रव्यनिक्षेपका विषय हो सकता है किंतु जो राजा किसी कारणविशेषसे राजकार्यसे विमुख होगया है तब भी वह राजा कहा
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