SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1219
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - त०रा० भाषा अध्याय सर्वसामान्य और उसके अभावसे जिस पदार्थका निरूपण होता है वह पदार्थ दो प्रकारका है एक श्रुतिगम्य और दूसरा अर्थाधिगम्य । जो अनपेक्षितरूपसे प्रवृचिमें कारण हो अर्थात जहाँपर प्रवृत्तिकी दी कोई अपेक्षा न हो और सुननेमात्रसे जिसका ज्ञान हो वह अर्थ श्रुतिगम्प है तथा जिस अर्थका ज्ञान अर्थ-प्रयोजनसे, प्रकरणसे, संभवसे और अभिप्राय आदिरीतिसे कल्पित हो वह अर्थाधिगम्य है । अर्थात | जहाँपर घटके लिए प्रवृत्तिकी अपेक्षा न हो किंतु घट शब्दके सुननेमात्रसे घट अर्थका ज्ञान हो जाय। | वह श्रुतिगम्य अर्थ है एवं 'संघवमानय' संघव ले आओ यहां पर प्रकरण सँधवका लवण अर्थ जान | लेना अर्थात् रोटी खाते समय सैंधव मगानेपर नमक ही लाना, घोडा न ले आना, क्योंकि सैंधव शब्दके | नमक और घोडा दोनों अर्थ होते हैं, यह अर्थाधिगम्य अर्थ है । 'आत्मा अस्ति' अर्थात् आत्मा है यहां काल्पत वस्तुखरूप सर्वसामान्यसे आत्माका | अस्तित्व कहा गया है इसप्रकार वस्तुखरूप सर्वसामान्यकी अपेक्षा स्यादस्त्येवात्मा' यह प्रथम भंग है। | उस सर्वसामान्यके विरोधी अवस्तुत्वरूप अभाव सामान्यकी अपेक्षा 'नास्त्यात्मा' अर्थात् वस्तुखरूपसे आत्मा नहीं है यह दुसरी भंग है । वस्तुत्व और अवस्तुत्वकी अपेक्षा होनेवाले अस्तित नास्तित्वकी जहांपर अभेद विवक्षा है वहांपर एक साथ उन दोनोंका वाचक शब्द न होनेसे 'स्यादवक्तव्य आत्मा', यह तीसरी भंग है एवं जहाँपर आस्तित्व नास्तित्वको क्रमसे विवक्षा है, अस्तित्व नास्तित्वखरूप वस्तु कही जाती है वहांपर स्यादस्ति नास्ति चात्मा, यह चतुर्थ भंग है।। . . विशिष्ट सामान्य और उसका अभाव, अर्थात् आत्मत्व और अनात्मत्व जिस रूपसे सुना जाता है है उसी रूपप्ते इसका ज्ञान होनेसे श्रुतिगम्य पदार्थ है और इसका संबंध आत्मामें ही है इसलिए आत्मत्व. GOPEECHUAGREEGASABP ABSORDERMISSIOSCREECECISIC TURESTHETA -
SR No.010551
Book TitleTattvartha raj Varttikalankara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages1259
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy