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________________ । % 3D अध्याय सूत्रमें जो चशब्दका उल्लेख किया गया है उसका अर्थ समुच्चय है । उस समुच्चयार्थक चशब्दकी MI/ सामर्थ्यसे सारस्वत आदि विमानोंके अन्तरालोंसे आपसमें एक दूसरेसे मिलनेवाले अन्य देवगण भी ६ निवास करते हैं। खुलासा इसप्रकार हैअग्न्याभसूर्याभचंद्राभसत्याभक्षमकरवृषभेष्टकामवरनिर्माणरजोदिगंतरक्षितात्मरक्षितसर्वरक्षि ____तमरुद्वस्वश्वविश्वाख्याः ॥३॥ अग्न्याभ आदि सोलह देवगण लोकांतिक देवोंके ही भेद स्वरूप हैं अर्थात् सारस्वत और आदित्य विमानोंके अन्तरालमें अग्न्याभ ओर सूर्याभ विमान हैं । आदित्य और | 5 वहिके अंतरालमें चंद्राभ और सत्याभ नामक विमान हैं। वह्नि और अरुण विमानोंके अन्तरालमें श्रेय | स्कर और क्षेमंकर नामके विमान हैं। अरुण और गर्दतोयके अंतरालमें वृषभेष्ट और काम व(चोर नामके हूँ विमान हैं। गर्दतोय और तुषित विमानोंके मध्यभागमें निर्वाणरज और दिगंतरक्षित नामक विमान हैं। तुषित और अव्याबाध विमानोंके मध्यभागमें आत्मरक्षित और सर्वरक्षित नामक विमान हैं। || अव्याबाध और अरिष्ट विमानों के मध्यभागमें मरुत् और वसु नामके विमान हैं। अरिष्ट और सारस्वत | | विमानोंके मध्यभागमें अश्व और विश्व नामके विमान हैं। इन विमानोंके सम्बन्धसे इनमें रहनेवाले देव 8 भी इन्हीं नामोंके धारक हैं। | उपर्युक्त विमानोंमें सारस्वत विमान सातसौ सात हैं। आदित्य विमान भी सातसौसात है । वह्नि नामके 1 विमान सात अधिक सात हजार हैं अरुण विमान भी सात अधिक सात हजार हैं । गर्दतोय विमान | नौ हजार नव है । तुषित विमान भी नौ अधिक नौ हजार हैं । अव्याबाध विमान ग्यारह अधिक % D AAAAAAEBAREERBRBAR HAMAREILGRIMALAMUGLISHAR १११९
SR No.010551
Book TitleTattvartha raj Varttikalankara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages1259
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size2 MB
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