SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1089
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ FORG BREASORRORSA | पल्यकी है और प्रत्येक देवकी पचास पचास देवियां हैं। सानत्कुमारका वर्णन कर दिया गया माहेंद्रका || अध्याय 18 वर्णन इसप्रकार है सानत्कुमार स्वर्गके अंतिम चक्र नामके इंद्रक विमानकी उत्तर दिशाके पच्चीस श्रोणिबद्ध विमानों में है। पंद्रहवें श्रेणिबद्ध विमानकी क्ल्प संज्ञा है। उसका कुल वर्णन ऐशान कल्पके समान समझ लेना चाहिये इस पंद्रहवें श्रेणिबद्ध विमानका स्वामी माहेंद्र नामका इंद्र है इस माहेंद्र इंद्रके आठ लाख विमान हैं। तेंतीस त्रायस्त्रिंश देव हैं। सचर हजार सामानिक देव हैं। तीन सभा हैं। सत्तर हजार आत्मरक्षक देव हैं और चार लोकपाल हैं। ऐशान इंद्रकी पट्टदेवियोंके जो नाम ऊपर कह दिये गए हैं उन्हीं नामोंकी धारक माहेंद्र इंद्रके भी आठ पट्टदेवियां हैं और उनकी ग्यारह पल्यकी आयु है तथा आठ हजार वल्लभिका देवियां हैं और उनकी भी आयु ग्यारह पल्यकी है। इन वल्लभिका देवियोंका शेष वर्णन सानत्कु-15 मार इंद्रकी वल्लभिका देवियों के समान समझ लेना चाहिये। ___महेंद्र इंद्रकी समिता नामक अभ्यंतर सभामें छह हजार देव हैं। चंद्रा नामकी मध्यम सभामें आठ इजार देव हैं और जातु नामक वाह्य सभामें दश हजार देव हैं। इन तीनों सभामें रहनेवाले देवोंकी आयु सानत्कुमार इंद्रकी सभाओंके देवोंसे कुछ अधिक है। शेष देवियोंका परिमाण उनकी आय और | विक्रियाकी सामर्थ्य आदि सानत्कुमार इंद्रकी सभाओंमें रहनेवाले देवोंके समान समझ लेना चाहिये। ऐशान इंद्रकी सेनाके महचरोंके जो नाम कह आए हैं वे ही माहेंद्र इंद्रकी सेनाके महचरोंके समझ लेना 8 चाहिये। माहेंद्र इंद्रकी पदाति सेनाकी सात कक्षा हैं । उनमें पहिली कक्षा में सचर हजार देव हैं। दूसरी AAAAELEAGESRAEMEMBER
SR No.010551
Book TitleTattvartha raj Varttikalankara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages1259
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy