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अध्याय
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बालक नामक आभियोग्य देवकी आयु साढे तीन सागरप्रमाण है। तीनसै उसकी देवियां हैं और उनकी पांच पांच पल्यकी आयु है।
पूर्व आदि दिशाके स्वयंप्रभ वरज्येष्ठ स्वयंजन और वल्गु इन चार विमानों में रहनेवाले सोम यम वरुण और वैश्रवण ये चार लोकपाल हैं । अर्थात् पूर्व दिशामें स्वयंप्रभ विमान है उसमें सोम नामका लोकपाल रहता है। दक्षिण दिशामें वरज्येष्ठ विमान है उसमें यम लोकपाल रहता है। पश्चिम दिशामें डू स्वयंजन नामका विमान है उसमें वरुण लोकपाल रहता है और उत्तर दिशामें वल्गु नामका विमान है उसमें वैश्रवण नामका देव रहता है । इनमें हरएक लोकपालके एक एक हजार सामानिक देव हैं।
एक एक हजार देवियां हैं। चार चार पट्टदेवियां हैं और तीन सभायें हैं। चारो लोकपालोंमें सोम और है यम नामके लोकपालोंकी एक सागरप्रमाण स्थिति है । वरुणकी सवा सागर और वैश्रवणकी डेढ सागर है प्रमाण स्थिति है।
सोम और यम लोकपालोंकी अभ्यंतर मभामें चालीस देव हैं। मध्यम सभामें तीनसौ देव हैं और वाह्य सभामें चारसौ देव है। वरुण लोकपालकी अभ्यंतर सभामें पचास देव हैं। मध्यम सभामें चारसौ हूँ और वाह्य सभामें पांचसो देव हैं। वैश्रवण लोकपालकी अभ्यंतर सभामें साठि देव हैं। मध्यम सभामें ।
पांचसौ और वाह्य सभामें छहसौ देव हैं। ___चारो लोकपालोंकी चारो अभ्यंतर सभाके देवोंकी आयु तीन सागरकी है और प्रत्येक देवके सौ सौ देवियां हैं। चारो लोकपालोंकी चारो मध्यम सभाके देवोंकी आयु कुछ कम तीन सागरकी है और २०१२ प्रत्येक देवकी सचर सत्तर देवियां हैं तथा चारो लोकपालोंकी चारो वाह्य सभाओंके देवोंकी आयु ढाई
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