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भाषा
ALGEBRANA-SA
* कल्याण प्राप्त करें-सबका उपकार हो इस कारण अर्थ शब्दका विशेषण तत्व शब्द देना ही चाहिये। बरा• यदि यह कहा जाय कि
अर्थगृहणादेव तत्सिद्धिरिति चेन्न विपरीतगृहणदर्शनात् ॥२१॥ जिसका निश्चय किया जाय, वह अर्थ है, अर्थ शब्दका यह अर्थ माननेपर मिथ्यावादियोंने जिन पदार्थोंको मान रक्खा है उनका ग्रहण नहीं हो सकता क्योंकि वे सब असदर्थ हैं इसलिये सूत्रमें केवल 51 | अर्थ शब्दके रहते ही जब तत्व और अर्थ दोनों पदार्थों का अभिप्राय सिद्ध हो जाता है तब तत्व ग्रहण |६|| 8 करना व्यर्थ है । सो ठीक नहीं। पिचके प्रकोपवाले मनुष्यको जिस तरह मीठा भी रस कडवा जान पडता |
है उसीतरह जिस मनुष्यके मिथ्यात्व कर्मका तीव्र उदय है वह पुरुष एकांतरूपसे पदार्थ हैं ही, वा नहीं | ही हैं, वा नित्य ही हैं, वा अनित्य ही हैं, वा भिन्नरूप ही हैं, वा अभिन्न रूप ही हैं, इस प्रकार मिथ्यानिश्चय कर बैठता है । इसप्रकार उसका भी एकांतरूपसे निश्चय किया हुआ पदार्थों का स्वरूप अर्थ कहना पडेगा और उसका श्रद्धान सम्यग्दर्शन कहा जायगा इसलिये उस मिथ्यारूप अर्थका श्रद्धान सम्य
ग्दर्शन न हो इस कारण सूत्रमें तत्व शब्दका ग्रहण है। तत्व शब्दके ग्रहण करनेपर वह दोष नहीं क्योंकि 5/ 18 जो जिस रूपसे स्थित है उसका उसी रूपसे होना तत्व है। मिथ्यावादियोंने जो एकांतरूपसे वस्तुका || || स्वरूप माना है वह वैसा नहीं इसलिये तत्व शब्दसे उसका परिहार हो जाता है।..". . . |
___ यदि यह शंका की जाय कि-जो तत्व हैं वे ही पदार्थ हैं तत्व और पदार्थ दोनों एक ही जगह है। में रहनेवाले हैं इसलिये तत्व शब्दसे ही अभीष्टकी सिद्धि हो जायगी अर्थ शब्दका ग्रहण करना व्यर्थ है।
सो ठीक नहीं।
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-BACCAMARCH