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(१) जैन और बौद्ध एक नहीं है.सनातनसे भिन्न भिन्न चले आये हैं. जर्मनदेशके एक बड़े विद्वान्ने इसके प्रमाणमें एक ग्रंथ छापा है.
. (२) चार्वाक औरंजैनसे कुछ संबंध नहीं. जैनको चावाक कहना ऐसाहै जैसा स्वामी दयानंदनी महाराजको मुसलमान कहना!
(३) इतिहास तिमिर नाशकका आशय स्वामीनीकी समझमें नहीं आया. उसकी भूमिकाकी एक नकल इसके साथ दी जाती है उससे विदित होगा कि, यह संग्रह है. बहुत बात खंडनके लिये लिखी गयी. मेरे निश्चयके अनुसार उसमें कुछ भी नहीं है.
(४) जो स्वामीजी जैनको इतिहास तिमिर नाशकके अनुसार मानते हैं तो वेदोंको भी उसके अनुसार' क्यों नहीं "मानते ? वनारस-१ जनवरी
आपका दास- ईस्वीसन् १८७९
शिवप्रसाद. ' . ( अज्ञान तिमिर भास्कर प्रथम खड़से उद्धत.)
-सज्जनो! आग्रहग्रस्त मनुष्यको सत्य प्राप्तिसे वैसे ही हाथ धोने पड़ते हैं जैसे राजयक्ष्माके रोगीको जीवनसे ! आग्रहको छोड़कर सत्यासत्यका विचार करना ही विद्वानोंके प्रशस्त जीवनका उद्देश्य है । जैन और बौद्धकी विभिन्नतामें शतशः प्रमाण-उपलब्ध हो रहे हैं । संसार भरके निष्पक्ष विद्वान इस वातको मुक्त कंठसे स्वीकार कर रहे हैं। इस वातका उदाहरणार्थ थोडासा नाम पूर्वक वर्णन किया जाता है.
(१) सर्व दर्शन संग्रहके रचयिता माधवाचार्यने जैन और बौद्ध दर्शनका स्वतंत्र भिन्न भिन्न उल्लेख किया है. है
(२) अद्वैत सिद्धिके कर्ता महात्मा सदानंदने, बौद्ध