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१. उड्डदिसि - मारणाइकमे २. प्र होदिसि - मारणाइक्कमे ३. तिरियदिसि मारणाइक्कमे
४. खित्त - वुड्डी
५. सइ अन्तरद्धा
जो मे देवसिश्रो अइयारो को
से
चढूँगा,
सूत्र - विभाग - १३ 'दिशा व्रत' प्रश्नोत्तरी
...
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: उड्ड ( ऊँची ) दिशा का परिमाण अतिक्रमण किया हो,
प्रश्नोत्तरी
प्र० : दिशा परिमाण कितने प्रकार का है ?
उ० जिस दिशा में जितना जाना पडे, उससे १.
अधिक, २. उतना र ३ उससे कम को परिमारण करना - यो जघन्य, मध्यम, उत्तम तीन प्रकार का है ।
उ०
: नीची दिशा का परिमार प्रतिक्रमण
किया हो,
दिशा का
परिमाण
: तिरछी अतिक्रमण किया हो,
: (एक दिशा का क्षेत्र घटाकर अन्य दिशा का ) क्षेत्र बढाया हो,
....
: क्षेत्र परिमाण के भूल जाने से पथ का सन्देह पडने पर आगे चला हो, : इन अतिचारो मे से मुझे जो कोई दिन सबधी अतिचार लगा हो, तो
प्र० : ऊर्ध्वं यदि दिशाओ का परिमाण कैसे किया जाता है ?
तस्स मिच्छामि दुक्कडं ।
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१. जैसे मैं निवास स्थान या इतने हाथ से अधिक ऊपर बने
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इतने हाथ से अधिक ऊँचे
स्थान की भूमि स्तभादि पर नही पर्वत पर नही