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________________ पाठ सूत्र-विभाग-१२ 'अपरिग्रह अणुव्रत' व्रत पाठ [ ६६ अपालक रावण, जिनरक्ष, सूरिकान्ता आदि का तथा ब्रह्मचर्य के पालक जम्बूकुमार, मल्लीनाथ, राजीमति आदि के जीवन-चरित पर ध्यान देना । पाठ १२ बारहवां १०. "अपरिग्रह अणुव्रत' व्रत पाठ पांचवा अणुव्रत 'थूलामो परिग्गहाम्रो 'वेरमरण।" : परिग्रह (सग्रह तथा मूर्छा) सेहटना १ खेत्त : खुली भूमि (खेत आदि) २ वत्यु : ढकी भूमि (घर आदि) का यथा परिमारण ४ ५ हिरण्ण-सुवण : चाँदी-सोना (मणि, मोती आदि) का यथा परिमारण (जैसे आभूषण, पाट, गिन्नी आदि) ५. दुपय : दो पर वाले (मनुष्य, पक्षी आदि) ६. चउप्पय : चार पैर वाले (गाय, भैस आदि का यथा परिमारण दुधारू या बैलादि वाहन योग्य) ७. धन : रोकड पूंजी (मुद्रा, हुडी आदि) ८. धान्य : गहूँ (ईख, नारियल, बादाम) आदि का यथा परिमारण 'थूलगं भते । परिगह पच्चक्खामि ।'
SR No.010547
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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