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सूत्र-विभाग--8: 'सत्य'अणुव्रत' प्रश्नोत्तरी [ ५५ ३. सदार-मत-भेए : अपनी स्त्री (आदि) के मर्म प्रकाशित
किये हो, (गुप्त बात प्रकाशित की हो), ४. मोसोवएसे : मृषा (झूठा) उपदेश दिया हो, ५ कूड-लेह-करणे : कूडा (झूठा) लेख (आदि) लिखा हो,
प्रतिक्रमरण पाठ जो मे देवसियो : इन अतिचारो मे मे मुझे जो कोई प्रइयारो करो दिन सम्बन्धी अतिचार लगा हो, तो
तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।
'सत्य अणुव्रत' प्रश्नोत्तरी प्र० झूठ के प्रकार-बताइए।
उ० झूठ के दो प्रकार है-१. द्रव्य और २. भाव । १ झूठ की भावना से, जैसे गुणहीन कन्या को गुणवती कहना, द्रव्य और भाव दोनों से झूठ है तथा २. झूठ की ही भावना से, जैसे गुणहीन कन्या के सबध मे कहना कि 'मैं उसके गुण क्या ब...ऊं ?-, उसके गुण अवर्णनीय हैं।' यह द्रव्य सेतो झूठ नहीं है, पर भावे से झूठ है। ये दोनों प्रकार के झूठत्याज्य है।
प्र० . इत्यादि शब्द से कौनसे झूठ समझना चाहिये?
उ० : जैसे झूठा आरोप लगाना, विश्वासघात करना, भगवान आदि की झूठी गपथ करना, मृपा उपदेश करना, राजकीय-सामाजिक-व्यापारिक-सेवाकीय-साहित्यिक वीं झूठ बोलना आदि।
प्र यदि किसी से राजकीय आदि झूठ न छूटे तो क्या वह व्रत ग्रहण नहीं कर सकता?