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सुवोध जन पाठमाला--भाग २
तीन करण एक योग के तीन भंग
जैसे '३१ मे पहला अक तीन है और उसके पीछे एक का अक जुडा है, वैसे ही पहले तीन-तीन करण लेकर उसके पीछे एक-एक योग जोडने से ३ भग बनते है। वे इस प्रकार है
१. करूँगा नहीं, कराऊँगा नहीं, अनुमोदंगा नही, मन से, २. करूँगा नहीं, कराऊँगा नहीं, अनुमोदूंगा नहीं, वचन से; ३. करूँगा नहीं, कराऊँगा नहीं, अनुमोदूंगा नहीं, काया से ।
तीन करग दो योग के तीन भंग
जैसे ३२ मे पहला तीन का अक है और उसके पोछे दो का अक जुड़ा है। वैसे ही पहले तीन करण लेकर पीछे दो योग जोडने से ३ भंग बनते है वे इस प्रकार है
१. करूँगा नहीं, कराऊँगा नहीं, अनुमोदंगा नहीं; मन से, वचन से, २. करूंगा नहीं, कराऊँगा नहीं, अनुमोदूंगा नहीं; मन से, काया से, ३ करूँगा नहीं, कराऊँगा नहीं; अनुमोदूंगा नहीं; वचन से, काया से।
तीन करण तीन योग का एक भंग
जैसे ३३ मे पहले तीन का अक है और उसके पीछे भी तीन का ही अक जुडा है, वैसे ही पहले तीन करण लेकर पीछे तीन योग जोडने से १ भग बनता है। वह इस प्रकार है
१. करूँगा नहीं, कराऊँगा नहीं, अनुमोदूंगा नहीं; मन मे, वचन से, काया से।