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________________ २४६ ] सुबोध जैन पाठमाला-भाग २ एक करण दो योग के नव भंग जैसे '१२' मे पहला अडू एक है और उसके पीछे दो का अङ्क जुडा है, वैसे ही पहले एक एक करण लेकर उसके पीछे दोदो योग जोड़ने से ह भग बनते हैं। वे इस प्रकार हैं १. करूँगा नहीं; मन से, वचन से; २ करूँगा नहीं; मन से, काया से; ३. करूँगा नहीं, वचन से, काया से। ४. कराऊँगा नहीं; मन से, वचन से; ५. कराऊँगा नहीं; मन से, काया से; ६. कराऊँगा नही; वचन से, काया से। ७. अनुमोदूंगा नही; मन से, वचन से; ८. अनुमोदंगा नहीं; मन से, काया से; ६. अनुमोदूंगा नहीं, वचन से, काया से । एक करण तीन योग के तीन भंग जैसे'१३' मे पहला अडु एक है और उसके पीछे तीन का अङ्क जुड़ा है, वैसे ही पहले एक-एक करण लेकर उसके पीछे तीन-तीन योग जोडने से ३ भग बनते हैं। वे इस प्रकार हैं १. करूँगा नहीं; मनसे, वचनसे, काया से । २. कराऊँगा नहों; मन से, वचन से, काया से । ३. अनुमोदूंगा नहीं; मन से, वचन से, काया से। दो करण एक योग के नव भंग जैसे २१ मे पहला अङ्क दो है और उसके पीछे एक का अक जुड़ा है वैसे ही पहले दो-दो करण लेकर उसके पीछे एकएक योग जोड़ने से ६ भग बनते है। वे इस प्रकार हैं १. करूँगा नहीं, कराऊँगा नहीं; मन से; २. करूँगा नहीं, कराऊँगानहीं; वचन से; ३ करूँगा नहीं, कराऊंगा नहीं; काया से।
SR No.010547
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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