________________
'सूत्र विभाग - २४ सम्मूच्छिम' प्रश्नोत्तरी [१४१
उ०: १. खुली २. धूप वाली, ३. रेत आदि वाली ४. जो पानी आदि से भीगी हुई न हो ५. पहले जहाँ मलमूत्रादि न किया हो तथा ६. एकात हो, ऐसी भूमि मे डालना चाहिए।
प्र० ऐसी भूमि मे क्यो डालना चाहिए?
उ० . १ खुली भूमि में वायु लगने से, २. धूपवाली मे धूप लगने से, ३ रेत आदि वाली मे रेत आदि मिल जाने से तथा ४ सूखी भूमि मे गीलापन न मिलने से, वे मल-मूत्र आदि शीघ्र सूख जाते हैं, अत: उनमे जीवोत्पत्ति नहीं होती। ५ अन्य मलमूत्रादि पर न डालने से पहले के मल-मूत्र के जीवो की विराधना नहीं होती तथा उन्हे सूखने मे बाधा नही पडती। ६. एकात मे डालने से लोगो के स्वास्थ्य मे बाधा तथा विचारो मे घृणा उत्पन्न नही होतो। अन्य का उस पर पर भी नही पड़ता।
प्र० : उन्हे कैसे डालना चाहिये ?
उ० : मूत्रादि के पात्र मे मूत्र करके उसे फैलाकर डालना चाहिए। स्थडिल भूमि मे वार-वार आगे बढ़ते हुए मल त्यागना चाहिए। कफादि त्यागने के पश्चात् उन पर राख, धूल आदि डालनी चाहिए।
प्र० : थूक आदि मे समूच्छिम मनुष्य जीव उत्पन्न होते हैं या नहीं ?
उ०: नही, जैसे आँख का मल, कान का मल, पसीना आदि मनुष्य की अशुचि होते हुए भी शरीर से पृथक् होकर दूर हो जाने पर उन मे अन्य जीव भले ही उत्पन्न होते है, पर सम्मूच्छिम मनुष्य उत्पन्न नहीं होते। वैसे ही थूक मे भी वे उत्पन्न नहीं होते।