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सूत्र-विभाग- १८ पोषध व्रत' प्रश्नोत्तरी
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प्र० चारो प्रहार करके देश पोषध संवर या (दया)
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करने वाले को क्या पाठ बोलना चाहिए P
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उ० : करोमि, भंते! देस-पोसहं प्रबंभसेवरण यच्चवखारण इत्यादि । शेष पाठ पूर्ववत् बोलना चाहिए। जो सवर या दया एक करण एक योग से करना चाहे, उन्हे 'दुविह तिविहेणं, न करेमि न कारवेमि, मरणसा वयसा कायसा' के स्थान पर एगविह एगविण न करेमि कायसा' पाठ बोलना चाहिए ।
० : सामायिक और पौषध में क्या अन्तर है ?
उ० : एक सामायिक केवल एक मूहूर्त ( ४८ मिनिट ) की होती है, जब कि पौषध कम-से-कम भी चार प्रहर का ( लगभग १२ घंटे का होता है । सामायिक में निद्रा और पाहार का त्याग करना ही होता है, जब कि पौषध चार और उससे अधिक प्रहर का होने से उसमें निद्रा भी ली जा सकती है और आहार भी किया जा सकता है, इत्यादि सामायिक और पौषध मे कुछ अन्तर हैं। जैसे दिशावकाशिक चत पहले के ग्राठ व्रतो का विशिष्ट वडा रूप है । इसी प्रकार पौषध त सामायिक व्रत का विशिष्ट बडा रूप है ।
प्र० : अब कि ग्यारहवाँ व्रत सामायिक व्रत से बडा निद्रा, आहार, और जब कि इनकी छूट
है और सामायिक का विशिष्ट रूप है, तब उसमे 'तिहार ( गौच ) आदि की इतनी छूट क्यो ? सामायिक व्रत ग्यारहवे व्रत से छोटा है, तब उसमे क्यो नही ? उ० १. सामान्य उत्तर तो यह है कि 'सामायिक अल्पकाल की है, अतः वह इन छूटो के बिना हो सकती है