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२३. उवाहरण-विहि २४. सयरण - विहि
२५. सचित्त - विहि २६. दव्व विहि
इत्यादि का यथा परिमाण
किया है
सुबोध जैन पाठमाला - भाग २
: जूते, मोजे आदि की विधि : ( सोने वंठने योग्य) वस्त्र पलगादि की विधि
ऐसा सातवाँ उपभोग परिभोग
दुविहे, पण्णत्ते
तंजहा - १. भोयरा
य
२. कम्मो य ।
: ( नमक पानी यादि) सचित्त की विधि : ( भिन्न नाम व स्वाद वाले) पदार्थो की विधि
: तथा घडी, पात्र प्रादि शेष रहे हुए द्रव्यों का परिमारण करता है
इसके उपरान्त उपभोग परिभोग वस्तुनों को भोग निमित्त से भोगने का पच्चवखारण ( करता हूँ) जावज्जीवाए । एगविहं तिविहेां न करोमि, मरगसा वयसा कायसा ।
प्रतिचार पाठ
भोरणाओ
समरणोवास एवं पंच प्रइयारा जारिणयव्वा न समायरियन्वा तं जहा --- ते श्रालोडं-
: सातवाँ उपभोग परिभोग
: ( दो प्रकार का कहा गया है
: वह इस प्रकार
: भोजन की अपेक्षा से और
: कर्म की अपेक्षा से ।
: भोजन की अपेक्षा)
: परिमारण व्रत के विषय मे जो कोई अतिचार लगा हो, तो ग्रालो ---