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पाठ १६-इच्छाकारेणं आलोचना का पाठ
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पाठ १६ सोलहवाँ ३. इच्वाकारणं : आलोचना का पाठ
इच्छाकारेणं संदिसह भगवं ! इरियावहियं पडिक्कमामि इच्छं, इच्छामि पडिक्कमिउं ॥१॥ इरियावहियाए विराहणाए ॥२॥ गमणागमणे ॥३॥ पारणक्कमणे बोयक्कमणे हरियक्कमणे प्रोसा-उत्तिगपरराग-दग-मट्टी-मक्कडा-संतारणा-संकमणे ॥४॥ जे मे जोवा विराहिया ॥५॥ एगिदिया, बेइंदिया, तेइंदिया, चरिदिया, पोचदिया ॥६॥ अभिहया, वत्तिया, लेसिया, संघाइया, संघट्टिया, परियाविया, किलाभिया, उद्दविया, ठाणाप्रो ठाणं, सकामिया, जोवियानो, ववरोविया॥७॥ तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।
शब्दार्थ :
आज्ञा के लिए प्रार्थना भगवं हे भगवान् । इच्छाकारेणं-याए अपनी इच्छा से । संदिसह =अाज्ञा कीजिए।
अपनी इच्छा मैं। इरियावहियं-इर्यापथि की क्रिया का चलने से लगने वाली क्रिया का)। पडिक्षमामिप्रतिक्रमण करना चाहता हूँ।