SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 69
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पाठ १४ - सामायिक के उपकरण [ ५१ हटा कर फिर खुजलाने से उसकी हिंसा नही होती । ४. रात को कही जाना-माना पडे, तो पहले इससे भूमि पूँज कर मार्ग - शुद्ध किया जाता है, जिससे जीव हिसा न हो, इत्यादि यह पूँजनी कई कामो में आती है । जयन्त : यह ऊन से क्यो बनाई जाती है ? विजय : क्योकि यह १ कोमल रहे । कठिन झाडू से छोटे कोमल जीव मर जाते है, इसलिए पूजनी कोमल होना आवश्यक है । २. ऊन से बनवाने का दूसरा लक्ष्य यह है कि यह शीघ्र मंली नही होती । इसमें यह डडी क्यो लगी है विजय : सुविधापूर्वक पकड कर पूँजने के लिए। सावधानी से रखनी चाहिए। इससे भी जीवहिसा हो सकती है । ? जयन्त इसे बहुत तेजी से गिरने पर जयन्त : अच्छा, इस माला का नाम क्या है, यह किस काम मे आती है ? विजय : इस माला का नाम 'नमस्कारावली' ( नवकार वाली ) है, क्योकि अधिकतर इससे नमस्कार नामक मन्त्र गिना जाता है। तीर्थकरो के नाम का जप करते समय भी यह काम आती है । और भी जप या अन्य स्मरण के समय यह सख्या जानने के काम मे श्राती है । जयन्त : इसमे कितनी मरिणयाँ होती हैं ? विजय : इसमे १०८ मरिणयाँ होती हैं। एक-एक मरिण को एक-एक नमस्कार-मत्र गिनकर खिसकाया जाता है, जिससे १०८ नमस्कार मन्त्र की एक माला पूरी हो जाती है । ""
SR No.010546
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy