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२८० ] जैन मुबोध पाठमाला-भाग १
१. पालो हद आचार
[ तर्ज: वो दिन धन होसी ] पालो दृढ याचार, जैनो सब मिलकर ।। ध्रुव ।। प्रात काल सदा उठ जाओ, पहले धर्म मे चित्त लगायो।
बालम दूर निवार ॥१॥ जैनो सव ... सतो को पचाग नमानो, देव धर्म को मन मे ध्याओ।
जपो मन्त्र नवकार ।।२।। जैनो सव ... सामायिक का लाभ उठावो, प्रभु प्रार्थना विधि से गायो।
करो मधुर उच्चार ||३॥ जैनो सब ... नित नियम चौदह चितारो, व्रत पच्चखाए नया कुछ धारो।
रोको आश्रव हार ॥४॥ जैनो सब.... करो मनोरथ-त्रय का चिन्तन, अरु विश्राम चार का सुमिरन ।
भावो भावना वार ।।५।। जैनो सव ... सुनो सदा मुनियो का भापरण, पूछो प्रश्न करो हल धारण ।
_सीखो जान अपार ||६|| जनो सव ... छाने विना न पानी पियो, अगुद्धं भोगन कभी न खायो।
पालो नित निविहार ||७|| जैनो सब अष्टम पाक्षिक पीपध धागे, प्रतिक्रमण कर दोष निवागे।
प्रायश्चित लो धार |८॥ जैनो सव . सोते समय कगे मगारा, आयुष्य का रखो यागारा ।
उठने पर लो पार ।।8।। जैनो सब . 'महा-मन्त्र' का कभी न भूलो, हर कामो मे पहले बोलो।।
ययवा 'लोगन्स' चार ।।१०।। जैनो सव .. जैन धर्म पर रकवी श्रद्धा, कगे न झूठी पग्मत निन्दा ।
रहो मदा हगियार ||११|| जैनो सव .