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कथा - विभाग - ६ श्री कामदेव श्रावक
देवलोक मे देव-रूप से उत्पन्न हुए । वहाँ से वे मनुष्य बनकर तथा दीक्षा लेकर सिद्ध बनेगे ।
॥ इति ६. श्री कामदेव की कथा समाप्त ॥
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- श्री उपासकदशांग सूत्र, श्रध्ययन २ के आधार से ।
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शिक्षाएँ
१ साधु नही तो श्रावक तो अवश्य बनो ।
२ स्वय गृहस्थी, चलाते हुए धर्म ग्रधिकंन ही हो सकता । ३. देवादि उपसर्ग आने पर भी धर्म मे दृढ रहो । ४ धर्म मे दृढ रहनेवाले की देव, इन्द्र व भगवान् भी प्रशसा करते हैं ।
५ छोटे के उदाहरण से भी शिक्षा लेनी चाहिए ।
प्रश्न
१ कामदेव की लौकिक सम्पन्नता का परिचय दो । २ कामदेव को प्राये हुए उपसर्गों का वर्णन करो । ३ कामदेव को देव उपसर्ग देने क्यो प्राया ?
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- पश्चात् क्या-क्या हुआ
४ उपसर्ग समाप्ति के ५ कामदेव के कथानक से प्रापको क्या शिक्षाएं मिलती है ?