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________________ कथा-विभाग- श्री अर्जुन - माली (अनगार) प्रश्न ९. मेघकुमार का परिचय दो। २. मेघकुमार की दीक्षा से एक दिन पहले और एक दिन पीछे की स्थिति बताओ । [ २२६ ३. मेघमुनि के पूर्व जन्म बतलाओ । ४ भगवान् ने उन्हें कैसी शिक्षा देकर स्थिर किया ? ५ मेघमुनि के जीवन से तुम्हे क्या शिक्षाएँ मिलती हैं ? ५. श्री अर्जुन माली (अनगार) I परिचय । 'राजगृह' नामक नगर मे 'अर्जुन' नामक एक माली रहता था । माली जाति मे वह धनवान, दैदीप्यमान और बहुत प्रतिष्ठित था । उसकी 'बन्धुमती' नामक स्त्री थी। वह बहुत ही सुरूपवती और सुन्दरी थी । यक्ष - पूजक राजगृह के बाहर अर्जुनमाली का फूलो का एक बडा बगीचा था । उस बगीचे से कुछ दूरी पर 'मुद्रपारि' नामक यक्ष का मन्दिर था । उस यक्ष के पारिण (हाथ) मे हजारपल ' (३ डे मन ) का एक भारी लौह मुद्गर था । इसलिए उसे लोग 'मुद्रपारि' कहते थे ।
SR No.010546
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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