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पाठ ३-तिक्खुत्तो : वन्दना पाठ [ ५ उ०: एक, दो, तीन, चार, पाँच आदि जितनी बार बन सके,
उतनी बार करना चाहिए। प्रतिदिन माला के द्वारा १०८ बार या अनुपूर्वी के द्वारा १२० बार नमस्कार
मत्र स्मरण का नियम ग्रहण करना चाहिए। प्र० : क्या नमस्कार मत्र से बढकर कोई मगल है ? उ० · नही। इन पाँच पदो को नमस्कार रूप मगल सबसे
बढ़कर मगल है। प्र०: इस नमस्कार मत्र का दूसरा नाम क्या है ? उ०: परमेष्ठी मत्र। प्र०: परमेष्ठी किसे कहते हैं ? उ: जिन्हे हम धार्मिक दृष्टि से सबसे अधिक चाहते हो और
हम जिनके समान बनना चाहते हो।
पाठ ३ तोसरा
तिक्खुत्तो : वन्दना पाठ
तिक्खुत्तो आयाहिरणं पयाहिरणं करेमि। वंदामि नमंसामि सक्कारेमि सम्माणेमि, कल्लारणं मंगलं
देवयं चेइयं पज्जुवासामि । भत्थएरण वदामि । शब्दार्थ : तिक्खुत्तो-तीन बार। प्रायाहिरणं-दक्षिण अोर से (सीधी ओर से)। पयाहिरणं प्रदक्षिणा। करेमि= करता हूँ।