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___ १९२ ] जैन सुबोध पाठमाला-भाग १
३. भगवान् को केवलि पर्याय की विशिष्ट घटनाओं का वर्णन कीजिए।
४. भगवान् के चरित्र की विषय-तालिका लिखिये । ५. भगवान् के जीवन से आपको क्या शिक्षाएँ मिलती हैं ?
२. गणधर श्री इन्द्रभूतिजी (श्री गोतमस्वामीजी)
देशादि
मगध देश में 'गोवर' नामक एक गाँव था । वहाँ १. 'श्री इन्द्रभूति' नामक ब्राह्मण रहते थे। उनके पिता का नाम 'वसुभूति' तथा माता का नाम 'पृथ्वी' था। वे 'गोतम' गौत्रीय थे । उनके दो छोटे भाइयो का नाम क्रमशः २. 'श्री अग्निभूति' तथा ३. 'श्री दायुभूति' था।
तीनो भरे-पूरे शरीर वाले थे। शरीर का रूप-रंग देवतायो को भी लज्जित करने वाला था। शरीर शक्तिसम्पन्न था, मानो वज्र का हो वना हो। पद्म-गर्भ के समान उनके शरीर का गोर वर्ण देखते ही बनता था। उनके मुख पर वडी दिव्य प्रतिभा थी।
तीनो वैदिक धर्म के उपाध्याय थे। वेद-वेदाग के रहस्य को जानने वाले थे। तीनो के ५००-५०० छात्र थे। श्री इन्द्रभूति उन सब मे तेज थे। उस युग में उनके समान कोई विद्वान् न था। वे अपने युग के सभी विषयो के उच्चस्तरीय