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जैन सुवोध पाठमाला-भाग १
क्यो? सव्वेसि-सव । मंगलारणं-मगलो मे । (सर्वश्रेष्ठ)। मगलं-मगल। हवइ-है।
पढम-प्रथम
पाठ २ दूसरा
.. नमस्कार मन्त्र प्रश्नोत्तरी
प्र० · नमस्कार किसे कहते है ? उ० दोनो हाथो को जोड कर ललाट पर तगाते हुए मस्तक
भुकाना। प्र० . मन्त्र किसे कहते हैं ? उ० · जिसमे अक्षर थोडे हो और भाव बहुत हों। प्र० · अरिहन्त किसे कहते हैं ? उ:: (अ) जिन्होने-१. ज्ञानावरणीय, २. दर्शनावरणीय,
३.मोहनीय और ४. अन्तराय-इन घाति चारो कर्मो को क्षय करके अज्ञान, मोह, राग, द्वेष, अन्तराय आदि आत्मा के 'अरि' अर्थात् गत्रुनो का 'हत' अर्थात नाश किया हो तथा (आ) जो जैन धर्म को प्रकट करते हो,
उन्हें अरिहन्त कहते हैं। प्र. • सिद्ध किसे कहते है ? उ०: १. जिन्होने पाठो कर्मो का क्षय करके अपना आत्म
कल्याण साध लिया हो, तथा २. जो मोक्ष मे पधार गये हो, उन्हे सिद्ध कहते हैं।