________________
तत्त्व विभ'ग-तेइसवां बोल : 'साघुजी के ५ महाव्रत [ १३१
तेइसवॉ बोल : 'साधुजो के ५ महानत' महाव्रत : तीन करण तीन योग से लिया गया व्रत।
१ सर्व प्राणातिपात विरमरण व्रत : इसमे साधुजी सर्वथा प्रकार से जीव-हिसा नहीं करते। तीन करण तीन योग से। मन से, वचन से, काया से, करते नही, कराते नही, करते का अनुमोदन करते नही ।
२ सव मृावाद विरमरण व्रत : इसमें साधुजी सर्वथा प्रकार से झूठ नहीं बोलते। तीन करण तीन योग से । मन से वचन से, काया से, वोलते नही, बुलवाते नही, बोलते का अनुमोदन करते नही।
३ सर्व प्रदत्तादान विरमरण व्रत · इसमे साधुजी सर्वया प्रकार से चोरो नही करते। तीन करण तीन योग से। मन से, वचन से, काया से, करते नहीं, कराते नही, करते का अनुमोदन करते नहीं।
४ सर्व मैथुन विरमरण व्रत इसमे साधुजी सर्वथा प्रकार से मथुन सेवन नहीं करते। तीन करण, तीन योग से। मन से, वचन से, काया से। करते नही, कराते नही, करते का अनुमोदन करते नही।
५. सर्व परिग्रह : इसमे साधुजी सर्वथा प्रकार से परिग्रह नही रखते। तीन करण तीन योग से। मन से, वचन से, काया से,-रखते नही, रखाते नहीं, रखते का अनुमोदन करते नहीं।