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________________ ११० ] जन सुबोध पाठमाला-भाग १ तिर्यञ्च मे पाँचो जाति के जीव होते हैं। शेप नरक, मनुप्य तथा देव ये तीनो पञ्चेन्द्रिय हो होते है। दूसरा बोल : 'पाँच जाति' जाति : समान इन्द्रियो वाले जीवो का समूह । १. एकेन्द्रिय : जिनको मात्र एक स्पर्श इन्द्रिय ही हो।। जैसे पृथ्वीकाय आदि।। २. द्वीन्द्रिय : जिनको १ स्पर्श और २ रस-ये दो इन्द्रियाँ हो। जैसे लट, गिडोला, शख, सीप, कौडी, जोक, अलसिया इत्यादि। ३. त्रीन्द्रिय : जिनको १ स्पर्ग २ रस और ३ प्राणये तीन इन्द्रियाँ हो। जैसे जू, कीड़ी, मकौडा, लीख, चाचन, खटमल आदि। ४. चतुरिन्द्रिय : जिनको १ स्पर्श २ रस ३ घ्राण और ४ चक्षु-ये चार इन्द्रियाँ हो। जैसे विच्छू, भौरा, मक्खी, डास, मच्छर आदि। ५. पञ्चेन्द्रिय : जिनको १ स्पर्श २ रस ३ घ्राण ४ चक्षु और ५ श्रोत्र-ये पाँचो इन्द्रियाँ हो। जैसे पशु, पक्षी,. मनुष्य आदि। तीसरा बोल : 'छह काय' काय : १. शरीर, देह या २. समान शरीर वाले जीवों का समूह। १. पृथ्वीकाय : पृथ्वी (मिट्टी) ही जिनका शरीर हो। जैसे हीगलू, हड़ताल, भोडल, पत्थर, शीशा, सोना, चाँदी, हीरा, पन्ना आदि।
SR No.010546
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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