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. पाठ २५ –'सामायिक' प्रश्नोत्तरी [ १०५ २. या जैसे सारे दिन धूल में खेलने वाला बालक यदि । ४८ मिनिट में ५ मिनिट भी शान्त होकर, बैठे, तो उसे लाभ ही है, हानि नही।
३. या जैसे सारे दिन कष्ट पानेवाले दुःखी को यदि ४८ मिनिट मे ५ मिनिट भी आत्म-शान्ति मिले, तो उसे लाभ ही है, हानि नही।
इसी प्रकार यदि अणुव्रत-गरणव्रत धारण न करने वाला ४८ मिनिट की एक सामायिक करके उसमें पांच मिनिट भी मन स्थिर रख सके, तो उसमें कुछ लाभ ही है, हानि नही ।
४. जैसे ३० हाथ की रस्सी मे से २६ हाथ रस्सी कुएँ में पड गई हो और १ एक हाथ रस्सी में से भी केवल चार अगुल रस्सी ही हाथ मे रही हो, तो उस चार अंगल रस्सी से भी वह पूरी रस्सी भी एक समय अपने हाथ में आ सकेगी।
५ या जैसे ३० चोरों में से एक चोर थोडा भी अपना बन गया, तो गया हुआ धन उसके द्वारा एक दिन पूरापूरा भी अपने हाथ मे आ सकेगा। इसी प्रकार यदि जीवन में एक भी सामायिक चलती रही, तो वह भविष्य मे आत्मा को बचा लेने मे काम ही आयेगी।
६ जिस प्रकार किसी रस्सी को बीच-बीच में से कई * स्थानो पर काट दी हो और फिर भले ही गाँठे देकर उसे
जोड भी दी हो, तो भी उसमे पहले वाला बल नही