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१०२ ] जैन सुबोध पाठमाला-भाग १
'भगवान् वडे है और हम छोटे है' यह बताने वाला विनयपूर्ण आसन होना चाहिए। शरीर के दाहिने अग शुभ और बाये अग अशुभ माने गये हैं। अत दाहिना घुटना शुभ और बायाँ घुटना अशुभ है। दाहिना शुभ घुटना नीचे टिकाना और बायाँ अशुभ घुटना खडा रखना 'भगवान् बड़े है और हम छोटे है-यह प्रकट करता है। इसलिए नमोत्युग मे ऐसे अासन से बैठा जाता है। हाथ जोडना तो स्पष्ट ही 'भगवान् (या गुरु)
बडे और हम छोटे'---यह बतलाने वाला है ही। प्र० . सामायिक मे क्या करना चाहिए ? उ० : सामायिक मे सावध योग (अट्ठारह पाप) त्यागे जाते है,
इसलिए उन्हे छोडकर निरवद्य योग अपनाना चाहिए। विशिष्ट प्रकार का पुण्य, सवर तथा निर्जरा-ये तीनो निरवद्य योग हैं। इनमे भी ध्यान मुख्य है। इसलिए
ध्यान की ओर अधिक लक्ष्य देना चाहिए। प्र० धर्म-ध्यान करने तथा टिकाने के आलंबन (उपाय)
बताइये। धर्म-ध्यान के बालंबन चार है १. वाचना-वॉचना लेना अर्थात् नया तत्वज्ञान, नई धार्मिक कथाएँ या स्तुतियाँ सीखना। २. पृच्छना=पूछना अर्थात् तत्वज्ञान, धार्मिक कथा या स्तुतियो मे जो भी गका उत्पन्न हो, उन्हे वडो से (ज्ञानियो से) पूछकर दूर करना तथा जिज्ञासा पूरी करना। ३. परियट्टरमा परिवर्तना अर्थात् सीखा हुआ तत्वज्ञान, सीखी हुई कथाएँ, स्तुतियाँ तथा प्राप्त किया हुआ समाधान दुहराना।