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पाठ २५--'सामायिक' प्रश्नोत्तरी [६७ डोरा डालकर मुंह पर बाँधे । माला, पुस्तक आदि को अपने आसन पर रक्खे। पुंजनी को पुस्तक से कुछ
दूर रक्खे, पुस्तक पर न रक्खे । प्र० : सामायिक लेने को विधि क्या है ? उ० : सन्तों के उपाश्रय में सामायिक करने का अवसर प्रावे,
तो विनय के लिए पहले सन्तो को वन्दन करे, फिर वेशपरिवर्तन करे। फिर पुनः १. तिक्खुत्तो के पाठ से तीन वार पचांग वन्दना करे। 'तिक्खत्तो से करेमि' तक बोलते हुए तीन बार प्रदक्षिणावर्त करे। फिर दोनों घुटने भूमि पर टिका कर दोनों हाथों को सीप के समान जोडकर मस्तक पर लगाकर 'वंदामि से पज्जुवासामि' तक का पाठ बोलें। फिर पचाग झुकाते हुए 'मत्थएणं चदामि' कहे। तीन बार वन्दना करके चउवीसत्थव (आलोचना आदि) की प्राज्ञा ले। यदि गुरुदेव न हो, तो पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह करके भगवान् महावीरस्वामी को या सीमधरस्वामी को वदन करे । फिर यदि बडे श्रावक उपस्थित हों, तो उनसे 'चउवीसत्थव की आज्ञा ले। न हो, तो भगवान् से ही प्राज्ञा ले। आज्ञा लेकर २ नमस्कार मत्र पढे। फिर ३. इच्छाकारेणं का पाठ बोलकर इपिथिक को आलोचना करें। फिर ४. तस्सउत्तरी बोलकर प्रायश्चित्त आदि के लिए कायोत्सर्ग.की प्रतिज्ञा करे। 'वोसिरामि' तक बोलने के पश्चात् कायोत्सर्ग करके 'कायोत्सर्ग मे इच्छाकारेण के पाठ का 'इरिया वहियाए विराहगाए से ववरोविया तक का अश मन मे चिन्तन करे। इस प्रकार कायोत्सर्गपूर्वक दूसरी बार की आलोचना-रूप प्रायश्चित्त से