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________________ ε४ ] जैन सुबोध पाठमाला - भाग १ ७ हास्य ८ श्रशुद्ध, ६ निरपेक्ष, १० सुम्सुन वचन दोष ||२|| ६ विकथा १ कुवचन = विषयकारी, कपाययुक्त, अपशब्द आदि वचन कहे । २ सहसाकार = बिना विचारे चार भाषा मे से कोई भी भाषा वोले । ३. स्वच्छन्द = निरकुश होकर बोले । ४. सक्षेप = सामायिक की विधि पूरी न करे, पाठो को सक्षेप मे बोले । ५. कलह = वचन-युद्ध करे, क्लेशकारी वचन बोले । ६. विकथा = स्त्री - कथादि चार कथाप्रो में से कोई कथा करे । ७. हास्य = हास्य, कौतुहल, व्यग आदि करे । 5 अशुद्ध = पाठो को 'वाइद्ध' आदि प्रतिचार सहित अशुद्ध पढे अथवा प्रव्रती को आदर-सत्कार दे, उसे आने-जाने के लिए कहे । ६ निरपेक्ष = पाठ उपयोग शून्य या उपेक्षा करके पढे । स्पष्ट न बोले, गुनगुनावे | १०. सुम्सु = पाठ काया के १२ बारह दोष गाथा : १ कुप्रासरणं २ चलासरणं ३ चलदिट्ठी, ४ सावज्ज किरिया ५ऽऽलंबरण ६ ऽऽकुंचरण पसारणं । ७ श्रालस्स, ८ मोडन & मल १० विमासरणं । ११ निद्दा १२ वैया वच्चति, बारस काय दोसा ॥३॥ हिन्दी छाया : १ कुप्रासन ३ चलदृष्टि, २ चलासन ४ सावद्यक्रिया ५ ऽऽलंबन ६ श्राकुञ्चन प्रसारण ।
SR No.010546
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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