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जैन सुवीध पाठमाला--भाग १
पाठ २३ तेईसवाँ नमोत्धुणं प्रश्नोतरी
प्र० • नमोत्युण सामायिक सूत्र का कौनसा पाठ है ? उ० : सातवाँ पाठ है। प्र० • छठा पाठ कौनसा है ? उ० , 'करेमि भते अर्थात् सामायिक का प्रत्याख्यान लेने का पाठ। प्र० • 'करेमि भते' कव वोला जाता है ? उ० : सामायिक लेते समय लोगस्स पढ़ लेने के पश्चात् वदना करके। प्र० . नमोत्गुण कब पढा जाता है ? उ० : सामायिक लेते समय 'करेमि भते' से सामायिक लेने के
वाद तथा पारते समय लोगस्स के बाद । प्र. : इस पाठ का दूसरा नाम क्या है ? उ० . गझस्तव का पाठ। प्र० : इसे शक्रस्तव का पाठ क्यों कहते है ? उ० , पहले देवलोक के इन्द्र, जिनका नाम गक्र है, वे भी इसी
नमोत्थुरणं से अरिहन्तों व सिद्धों की स्तुति करते हैं।
इसलिए इसे 'शक्रस्तव' कहा जाता है। प्र० : अरिहन्तों तथा सिद्धो की स्तुति (स्तव) कैसे करनी
चाहिए ? उ० : जैसे कि लोगस्स या नात्थुरणं में की गई है, अर्थात्,
उन्होंने दीक्षित बनकर जो तप किये और गुण प्राप्त किये, केवली वनकर जो उपकार किये, मोक्ष पहुँचकर जो सुख प्राप्त किये- उन्हीं कार्यों की स्तुति करनी चाहिए।