________________
पाठ २१–लोगस्स प्रश्नोत्तरी [८५ तोर्थकर सम्यक्त्व तथा चारित्र देते हैं और मोक्ष दिखाते.
प्र० : आज तीर्थंकर, जव कि मोक्ष मे पधार गये है और
उपदेश नहीं देते है, तब ऐसी प्रार्थना क्यो की जाय ? उ० : इसलिए कि वे जो उपदेश दे गये हैं, वे हम मे उतरे और.
हम मोक्ष देखे। ऐसी प्रार्थना से उनके उपदेश धारण करने की हमारी भावना दृढ बनती है और धारण कर
हम मोक्ष के निकट बनते है। प्र० : क्या तीर्थंकरो की प्रार्थना से सांसारिक पदार्थ-जैसे
पत्नि, पुत्र धन, घर आदि मिल सकते हैं ? उ० : हाँ। । प्र० : तो क्या सासारिक पदार्थों को तीर्थकर देते हैं ? उ० . नही। किन्तु उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर तीर्थकरो
के भक्तदेव सासारिक पदार्थ देते हैं या अपने-आप
सासारिक पदार्थ मिलते है। प्र० : क्या तीर्थंकरो से सासारिक पदार्थ की प्रार्थना करना . उचित है? उ० : नही। लोगस्स मे की गई प्रार्थना के समान मोक्ष की - पात्रता आये, सम्यक्त्व जागे, चारित्र.धारण हो, मोक्ष
प्राप्त हो-ऐसी ही प्रार्थना करनी चाहिए। प्र० : यदि कोई सासारिक प्रार्थना करता हो, तो? उ० : करना छोड दे। न छोड़ सके, तो सासारिक प्रार्थना
को दुर्बलता समझे और धार्मिक प्रार्थना को ही सच्ची प्रार्थना समझे।
: