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श्री वर्धमानाय नमः सिद्धान्त सत्र समन्वय ( सिद्धान्त शास-रहस्य समझने की तालिका (कुंजी) ट् खण्डागम रहस्य और संजद पद
पर विचार
महंत मासि यत्थंगमहरदेवेहि मंस्थियं सर्व
पणमामि भतिजुत्तं सुदणाणमहोत्रयं सिरसा ॥ महसिदान्नमस्कृत्य सरिसाश्च भावतः ।
जिनागममनुस्मृत्य प्रबन्धं रचयाम्यहम् ।
श्रीमत्परम पूज्य भाचार्य परपेण से पढ़कर भाचार्य भूतबली पुष्पदन्त ने षट् खण्डागम सिद्धान्त शाखों की रचना की और उन्होंने तथा समस्त पाचार्य एव मुनिराजों ने मिलकर इस सिद्वान्त शात्रों को समाप्ति होने पर जेष्ठ शकला चमी के दिन इनकी पूजा की थी तभी से उस पंचमी का नाम प्रत पंचमी प्रवित होगया है। लिखित शास्त्र पहले नहीं थे तपंचमी से हि पने यह कहना तो ठीक नहीं है, भूत पूजा (सिद्धान्त शास्त्र की