________________
१४ प्रशंसा नहीं करते है किन्तु उक्त दोनों महानुभाव सदैव धर्म की चिता रखने वाले और धर्म कामों में अपना योग दन वाले हैं। स्वयं धर्म निष्ठ हे प्रतिदिन पंचामृताभिषेक करके ही भोजन करते हैं. यह धर्म लगन ही एक ऐसा विशेष हेतु है जिससे उनके प्रति हमारा विशेष भादर और स्नेह है। तथा उनका हमारे प्रति है। दिगम्बरत्व और सिद्धांत शाख परमागम को अक्षुण्ण रक्षा की सदिच्छा से उन्होंने इस सिद्धांत सूत्र समन्वय' प्रन्थ क प्रकाशन में सहायता दो है, तदर्थ दोनों महानुभावों को धन्यवाद देते हैं।
-माननीय बम्बई पञ्चायतइस प्रसङ्ग में हम बम्बई की धर्म परायण पञ्चायत और उम
अध्यक्ष महोदय का पाभार माने बिना भी नहीं रह सकते हैं। यदि बम्बई पंचायत इस कार्य में अपनी पुरी शक्ति नहीं लगातो तो समाज में सिद्धांत विपरीत भ्रम स्थायी रूपसे स्थान पा लेता। बम्बई पञ्चायत के विशेष प्रयत्न भोर शान्ति पूर्ण वैधानिक भान्दोलन एवं शास्त्रीय ठोस प्रचार से उस भ्रमका बीज भी प्रब ठार नहीं सकता है। जिस प्रकार दिगम्बर जैन सिद्धांत दर्पण प्रथम भाग, द्वितीय भाग, तृतीय भाग, इन बड़े २ तीनों ट्रैक्टोंका प्रकाशन बम्बई पञ्चायत ने कराया है, उसी प्रकार इस "सिद्धांत सूत्र समाय" पन्थका प्रकाशन भी दिगम्बरजैन पंचायत की बोरसे ही हो रहा है। इसके लिये हम बम्बई पञ्चायत को भूरि भूरि धन्यवाद देते हैं।
माखनलाल शास्त्री "तिलक"