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________________ श्री सिद्धचक्र विधान [१४७ निजही निज उरधार हेत सामर्थ है, आत्मशक्तिकर व्यक्ति करणविधि व्यर्थ है। निजस्वरूप थितिकरण हरणविधि चार हैं, परमारथ आचार्य सिद्ध सुखकार हैं। ॐ ह्रीं सूरिगुणेभ्यो नमः अयं ॥२०२॥ साधन साधक साध्य भाव सबही गयो, भेद अगोचर रूप महासुख संचयो। निजस्वरूप थितिकरण हरणविधि चार हैं, - परमारथ आचार्य सिद्ध सुखकार हैं। ॐ ह्रीं सूरिस्वरूपगुणेभ्यो नमः अध्यं ॥२०३॥ तत्व प्रतीत निजातम रूप अनुभव कला, .. पायो सत्यानन्द कुमारग दलमला। निजस्वरूप थितिकरण हरणविधि चार हैं, परमारथ आचार्य सिद्ध सुखकार हैं। ॐ ह्रीं सूरिसम्यक्त्वगुणेभ्यो नमः अयं ॥२०४॥ वस्तु अनन्त धर्म प्रकाशक ज्ञान है, एक पक्ष हट सहित निपट असुहान है। निजस्वरूप थितिकरण हरणविधि चार हैं, परमारथ आचार्य सिद्ध सुखकार हैं। ॐ ह्रीं सूरिज्ञानगुणेभ्यो नमः अयं ॥२०५॥ वस्तु धर्म. सामान्य ताहि अवलोकना, शुद्ध निजातम धर्म ताहि नहीं लोपना।
SR No.010544
Book TitleSiddha Chakra Mandal Vidhan Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSantlal Pandit
PublisherShailesh Dahyabhai Kapadia
Publication Year
Total Pages362
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size17 MB
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