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श्री सिद्धचक्र विधान
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निजही निज उरधार हेत सामर्थ है,
आत्मशक्तिकर व्यक्ति करणविधि व्यर्थ है। निजस्वरूप थितिकरण हरणविधि चार हैं,
परमारथ आचार्य सिद्ध सुखकार हैं।
ॐ ह्रीं सूरिगुणेभ्यो नमः अयं ॥२०२॥ साधन साधक साध्य भाव सबही गयो,
भेद अगोचर रूप महासुख संचयो। निजस्वरूप थितिकरण हरणविधि चार हैं,
- परमारथ आचार्य सिद्ध सुखकार हैं।
ॐ ह्रीं सूरिस्वरूपगुणेभ्यो नमः अध्यं ॥२०३॥ तत्व प्रतीत निजातम रूप अनुभव कला,
.. पायो सत्यानन्द कुमारग दलमला। निजस्वरूप थितिकरण हरणविधि चार हैं,
परमारथ आचार्य सिद्ध सुखकार हैं।
ॐ ह्रीं सूरिसम्यक्त्वगुणेभ्यो नमः अयं ॥२०४॥ वस्तु अनन्त धर्म प्रकाशक ज्ञान है,
एक पक्ष हट सहित निपट असुहान है। निजस्वरूप थितिकरण हरणविधि चार हैं,
परमारथ आचार्य सिद्ध सुखकार हैं।
ॐ ह्रीं सूरिज्ञानगुणेभ्यो नमः अयं ॥२०५॥ वस्तु धर्म. सामान्य ताहि अवलोकना,
शुद्ध निजातम धर्म ताहि नहीं लोपना।