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= (सिन्दू चाचा हीं मंडल विधान -
छट्ठी जयमालाका हिन्दी पद्यानुवाद
( रचयिता-बा. जुगलकिशोरजी मुखतार)
ENTEकाम
( १) जिन वीरोन कर्म पृकृतियों, का सब मूलाच्छेद किया, पूर्ण तपश्चर्याक बलपर, स्वात्मभावको साध लिया। उन सिद्धोको सिद्धि अर्थ मैं, वन्दं अतिसन्तुष्ट हुआ, उनके अनुपम गुणाकर्षसे, भक्तिभावको प्राप्त हुआ।
(२) स्वात्मभावकी लब्धि सिद्धि है, होती वह उन दोपोकं, उच्छेदन से आच्छादक जो, ज्ञानादिक गुणवृन्दी के । योग्य साधनोंकी सुयुक्तिसे, अग्निमयोगादिक द्वारा, हेम शिलासे जगम जैसे, हेम किया जाना न्यारा ॥
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