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________________ ५२ श्रमण महावीर 'नहीं क्यों ? महर्षि पतंजलि का अनुभव है कि कंठकूप में संयम करने से भूख और प्यास निवृत्त हो जाती है।' 'कंठकूप का अर्थ ?' 'जिह्वा के नीचे तन्तु हैं । तन्तु के नीचे कंठ है । कंठ के नीचे कूप है।' 'संयम का अर्थ ?' 'धारणा, ध्यान और समाधि-इन तीनों का नाम संयम है । जो व्यक्ति कंठ-कूप पर इन तीनों का प्रयोग करता है, उसे भूख और प्यास बाधित नहीं करती।' ___ भगवान् ने शरीर को सताने के लिए भूख-प्यास का दमन नहीं किया। उनके ध्यानवल से उसकी मात्रा कम हो गई। स्वाद-विजय भगवान् भोजन के विषय में बहुत ध्यान देते थे। वे शरीर-संधारण के लिए जितना अनिवार्य होता, उतना ही खाते थे। कुछ लोग रुग्ण होने पर कम खाते हैं। भगवान् स्वस्थ थे, फिर भी कम खाते थे। उनकी ऊनोदरिका के तीन आलंबन थे-सीमित बार खाना, परिमित मात्रा में खाना और परिमित वस्तुएं खाना। 'क्या भगवान् ने अस्वाद के प्रयोग किए थे ?' "भगवान् जीवन के हर क्षेत्र में समत्व का प्रयोग कर रहे थे। वह भोजन के क्षेत्र में भी चल रहा था। उनके अस्वाद के प्रयोग समत्व के प्रयोग से भिन्न नहीं थे।' 'क्या वे स्वादिष्ट भोजन नहीं करते थे ?' ___करते थे। भगवान् दीक्षा के दूसरे दिन कर्मारग्राम से विहार कर कोल्लाग सन्निवेश पहुंचे। वहां बहुल नाम का ब्राह्मण रहता था। भगवान् उसके घर गए। उसने भगवान् को घृत-शर्करायुक्त परमान्न (खीर) का भोजन दिया।' "भगवान् उत्तर वाचाला में विहार कर रहे थे। वहां नागसेन नाम का गृहपति रहता था। भगवान् उसके घर पर गए। उसने भगवान् को खीर का भोजन दिया।" 'क्या वे नीरस भोजन नहीं लेते थे ?' 'लेते थे । भगवान् सुवर्णखल से ब्राह्मण गांव गए। वह दो भागों में विभक्त १. बावश्यकचूणि, पूर्वभाग, पृ० २७० । २. माधना का दूसरा वर्ष। ३. बावग्याणि, पूर्वभाग, पृ० २७६ । ४. साधना का तीसरा वर्ष ।
SR No.010542
Book TitleShraman Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages389
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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