________________
स्वतन्त्रता का संकल्प
२३
लिए भी यह नहीं कहा कि गृहवासी मनुष्य स्वतंत्रता की खोज और उसका अनुभव नहीं कर सकता। मैं उन लोगों के लिए घर का विसर्जन आवश्यक मानता हूं, जो सबके साथ घुल-मिलकर उन्हें स्वतंत्रता का देय देना चाहते हैं । जहां तक मैं समझ पाया हूं, महावीर ने इसीलिए स्वतंत्रता के संकल्प की सार्वजनिक रूप से घोपणा की थी।'
'बह घोपणा क्या थी ?'
'महावीर ने ज्ञातखंड उद्यान में वैशाली के हजारों-हज़ारों लोगों के सामने यह घोपणा की-आज से मेरे लिए वे सब कार्य अकरणीय हैं, जो पाप हैं।" ___'पाप आन्तरिक ग्रंथि है। महावीर ने उसका आचरण न करने की घोपणा की। इसमें घर के विसर्जन की बात कहां है ?'
पाप को तुम एक रटी-रटाई भाषा में क्यों लेते हो? क्या परतंत्रता पाप नहीं है ? वह सबसे बड़ा पाप है और इसलिए है कि वह सव पापों की जड़ है। महावीर की घोषणा का हृदय यह है-'मैं ऐसा कोई कार्य नहीं करूंगा जो मेरी स्वतंत्रता के लिए बाधा बने।' महावीर ने स्वतंत्रता का अनुभव प्राप्त करने के पश्चात् यह कभी नहीं कहा कि सब आदमी घर छोड़ कर जंगल में चले जाएं। उन्होंने उन लोगों के लिए इसका प्रतिपादन किया जो सब सीमाओं से मुक्त स्वतंत्रता का अनुभव करना चाहते है ।'
'महावीर ने केवल घर का ही विसर्जन नहीं किया, धर्म-सम्प्रदाय का भी विसर्जन किया था। भगवान पार्श्व का धर्म-सम्प्रदाय उन्हें परम्परा से प्राप्त था, फिर भी वे उसमें दीक्षित नहीं हुए। महावीर ने दीक्षित होते ही संकल्प कियामेरी स्वतंत्रता में बाधा डालने वाली जो भी परिस्थितियां उत्पन्न होंगी, उनका मैं सामना करूंगा, उनके सामने कभी नहीं सुषंगा। मुझे अपने शरीर का विसर्जन मान्य है, पर परतंत्रता का वरण मान्य नहीं होगा।
प्रबुद्ध अनन्त की ओर टकटकी लगाए देख रहा था। वह जानता था कि अन्य फो भरने के लिए महाशून्य से वरकर कोई सहारा नहीं है।
१. गारमा