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वंदना
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जैसे-शब्दों में मेघ का गर्जन,
ताराओं में चन्द्रमा, गंध वस्तुओं में चन्दन श्रेष्ठ है, वैसे ही मुनियों में महावीर श्रेष्ठ हैं ।
४. जहा सयंभू उदहीण सेठे, णागेसु वा धरणिंदमाहु सेनें ।
खोओदए वा रस वेजयंते, तहोवहाणे मुणि वेजयंते ।। जैसे-समुद्रों में स्वयम्भू,
नागदेवों में धरणेन्द्र, रसों में इक्षु रस श्रेष्ठ है, वैसे ही तपस्वियों में महावीर श्रेष्ठ हैं ।
५. वणेसु या णंदणमाहु सेठं, णाणेण सीलेण य भूतिपण्णे ।' जैसे-वनों में नन्दनवन श्रेष्ठ है,
वैसे ही ज्ञान और शील से महावीर श्रेष्ठ हैं।
६. दाणाण सेठं अभयप्पयाणं, सच्चेसु या अणवज्जं वयंति । ___ तवेसु वा उत्तम बंभचेरं, लोगुत्तमे समणे णायपुत्ते ।।' जैसे-दानों में अभयदान,
सत्य में निरवद्य वचन, तप में ब्रह्मचर्य श्रेष्ठ है, वैसे ही श्रमणों में महावीर श्रेष्ठ हैं।
७. निव्वाणसेट्ठा जह सव्वधम्मा, ण णायपुत्ता परमत्थि णाणी। जैसे-~~-धर्मों में निर्वाणवादी धर्म श्रेष्ठ है,
वैसे ही ज्ञानियों में महावीर श्रेष्ठ हैं। उनसे अधिक कोई ज्ञानी नहीं है।
१. सूयगडो : १६॥२०॥ २. सूयगडो : १।६।१८। ३. सूयगहो : १।६।२३ । ४. सूपगटो : ११६॥२४॥