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जीवन का विहंगावलोकन
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लाठी रखते, फिर भी उन्हें कुत्ते काट खाते । भगवान् के पास न लाठी थी, न कोई बचाव | वे अपने आत्मबल के सहारे वहां परिव्रजन कर रहे थे ।
३१. अह गामकंटए भगवं, ते अहियासए अभिसमेच्चा ।"
-भगवान् को लोग गालियां देते । भगवान् उन्हें कर्मक्षय का हेतु मानकर सह लेते।
३२. हयपुव्वो तत्थ दंडेण, अदुवा मुट्ठिणा अदु कुंताइ-फलेणं । अदु लुणा कवालेणं, हंता हंता बहवे कंदिसु ॥'
- लाढ देश में कुछ लोग भगवान् को दंड, मुष्टि, भाले, फलक, ढेले और कपाल से आहत करते थे ।
३३. मंसाणि छिन्नपुव्वाइं ।'
—कुछ लोग भगवान् के शरीर का मांस काट डालते ।
३४. उट्ठभंति एगया कार्यं ।
- कुछ लोग भगवान् पर थूक देते ।
३५. अहवा पंसुणा अवकिरिंसु ।
- कुछ लोग भगवान् पर धूल डाल देते ।
३६. उच्चालइय णिहणिसु । "
- कुछ लोग मखौल करते और भगवान् को उठाकर नीचे गिरा देते ।
३७. अदुवा आसणाओ खलइंसु । "
--भगवान् आसन लगाकर ध्यान करते । कुछ लोगों को बड़ा विचित लगता। वे आकर भगवान् का आसन भंग कर देते । भगवान् इन सबको वैसे सहन करते मानो शरीर से उनका कोई सम्बन्ध न हो ।
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१. आयारो : ६।३।७ |
२. आयारो : ६।३।१० ।
६. भायारो : ६।३।११।
४. वायारो : ३।११।
५. वायारो : 81३199 1 ६. बायारो : हा३।१२ । ७. आयारो : ६।३।१२ ।